Monika garg

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लेखनी कहानी -14-Nov-2022# यादों के झरोखों से # मेरी यादों की सखी डायरी के साथ

हैलो सखी ।
  कैसी हो। अब की बार गर्मी बहुत पड़ी थी ।हमारा हाल बेहाल था बात 2 मई की थी ।
पता नही आजकल क्या हो गया है कुछ लिखने बैठती हूं तो निंदिया रानी आकर आंखों पर कब्जा कर लेती है ।और काफी सारे मंचों पर बहुत सी स्पर्धाओं में भाग ले रखा है एक जगह सहलेखन भी चल रहा है ।इधर पाकेट नावल रीडर वाले भी कह रहे है उनके मंच पर लिखने के लिए ।पर अब एक अदना सी लेखिका कहां कहां जाए। कुछ दिनों से तबीयत भी ठीक नही है।एक तो गर्मी इतनी पड़ रही है कि पूछो मत हमे तो ऐसा लगता है जैसे पतीले मे उबल रहे है।जो जो हमारी सखी और हमारी बातें पढ़ रहा है वो बताएं कि क्या पहले जमाने मे भी इतनी ही गर्मी पड़ती थी ।या आज कल के मनुष्यों की सहनशक्ति जवाब दे गयी है। मुझे याद है एक बार मेरा किसी गांव मे जाना हुआ था जब मै छोटी थी हम पूरा परिवार गुरुदेव के दर्शन के लिए गये थे। वहां उस गांव मे बिजली भी बहुत कम रहती थी मुझे याद है हमारा परिवार किसी के घर ठहरा था ।जब मै वहां पर सूत के पलंग पर बिना पंखे के सो गयी मुझे जरा भी गर्मी नही लगी।मै सोचती हूं आजकल के बच्चे एसी के बगैर नही रहते। मुझे याद है जब हम छोटे थे तो हमारे यहां कूलर भी नही था और ना ही इनवेंटर था जब लाइट नही होती थी तो मेरे पापा एक बोरी को जो सूत की होती थी उसे दरवाजे पर परदे की तरह टांग देते थे फिर एक बाल्टी भर कर पानी की रख लेते थे और उसमे से डिब्बे भर कर बोरी पर छिडकते रहते।सच कह रही हूं उस जैसी ठंडक मुझे आज एसी  में भी नहीं लगती। हाहाहाहाहा अच्छा सखी देसी एसी की जानकारी देते हुए । अलविदा।

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2 Comments

Gunjan Kamal

11-Dec-2022 02:09 PM

यादें बचपन की! अविस्मरणीय पल

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shweta soni

09-Dec-2022 01:34 PM

बचपन की यादें भी बहुत अच्छी होती है 👌

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